खींच कर खूंखार लोग मुझे किनारे ले गए बेदर्द रंगो से रंगकर मुझे गिराने ले गए, कुछ घंटो खींच कर खूंखार लोग मुझे किनारे ले गए बेदर्द रंगो से रंगकर मुझे गिराने ले गए, ...
और अपनी बेशुमार चमक से समां को रौशन कर देता है। और अपनी बेशुमार चमक से समां को रौशन कर देता है।
चांद चांद
शीशों से सटा गालों को वह पी मिलन गीत गाती थी शीशों से सटा गालों को वह पी मिलन गीत गाती थी
ठंडाई वो याद है, गुजिया का स्वाद है ठंडाई वो याद है, गुजिया का स्वाद है
है वो आदमी बेपरवाह थोड़ा पर ज़हरीला नाग नहीं हैं। है वो आदमी बेपरवाह थोड़ा पर ज़हरीला नाग नहीं हैं।